वे मेरी खिड़की की सिल पर आने लगे हैं

वे मेरी खिड़की की सिल पर आने लगे हैं
मेरी मुहब्बत के गीत गुनगुनाने लगे हैं
हाय ओ रब्बा अब मैं क्या करूँ?
जी तो चाहे उनके संग नाच करूँ ।

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