अब तक तो मुझे तेरा सुराग न मिला

अब तक तो मुझे तेरा सुराग न मिला
तुझे खोजने में खुद से ही अंजान बन गए
लंबी उमर थी लेकिन तेरे ही इश्क में
दुनिया में दो घड़ी के मेहमान बन गए

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यह ज़रूरी नही हर सक्ष्स मशीहा ही हो,