दिल की वादी से ख़िज़ाओं का अजब रिश्ता है,
दिल की वादी से ख़िज़ाओं का अजब रिश्ता है,
फूल ताज़ा तेरी यादों के कहाँ तक रक्खूँ !!
ख़ामोश रास्तों पे नई दास्ताँ लिखूँ,
तन्हा चलूँ सफ़र में मगर कारवाँ लिखूँ !!
ऊँचाईयों की नब्ज़ पे रख के मैं उंगलियाँ,
तेरी हथेलियों पे कई आस्माँ लिखूँ..!!
फूल ताज़ा तेरी यादों के कहाँ तक रक्खूँ !!
ख़ामोश रास्तों पे नई दास्ताँ लिखूँ,
तन्हा चलूँ सफ़र में मगर कारवाँ लिखूँ !!
ऊँचाईयों की नब्ज़ पे रख के मैं उंगलियाँ,
तेरी हथेलियों पे कई आस्माँ लिखूँ..!!
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